किस्मत की लकीरों में - Kismat ki lakiron mein

किस्मत की लकीरों में,
            खुद को ढूंढते हैं,
रेखाओं के इस खेल में,
          खुद को न पाते हैं।
लोगों की इन लकीरों से,
         ज़िन्दगी बदलते देखा,
कहें हम ईश्वर से,
        दी हमें नहीं भाग्य रेखा।
किस्मत के मसले पे,
             हम थोड़े कच्चे हैं,
क्या कहें इस बात पे,
         कर्म बंधन बड़े पक्के हैं।
कल तक जिन्हे व्यर्थ,
                बात कहते रहे,
वक़्त ने समझाया अर्थ,
                  आप सहते रहे।
किस्मत की जगह पर,
                  संघर्ष हमें मिला,
कभी - कभी इस बात पर,
                   होता हमें गिला।
बड़ा पक्का बनाया,
                     हमें ईश्वर ने,
अब तक जिलाया,
                      हमें ईश्वर ने।
बिना किस्मत लिए,
              जीते हैं लोग यहां,
आश्चर्य से कहें ये,
             उनके लिए है ये जहां।
किस्मत की लकीरों में,
               जो खुद को पाते हैं,
रेखाओं के इस खेल में,
      खुद को फिर कहां ढूंढ़ पाते हैं!

         KISMAT KI LAKIRON MEIN,
KHUD KO DHUNDHTE HAIN,
REKHAON KE IS KHEL MEIN,
KHUD KO NA PATE HAIN.

LOGON KI IN LAKIRON SE,
ZINDAGI BADALTE DEKHA,
KAHEN HUM ISHWAR SE,
DI HUMEIN NAHI BHAGYA REKHA.

KISMAT KE MASLE PE,
HUM THODE KACHCHE HAIN,
KYA KAHEN IS BAAT PE,
KARM BANDHAN BADE PAKKE HAIN.

KAL TAK JINHE VYARTH,
BAAT KAHTE RAHE,
WAQT NE SAMJHAYA,
AAP SAHTE RAHE.

KISMAT KI JAGAH PAR,
SANGHARSH HUMEIN MILA,
KABHI-KABHI IS BAAT PAR,
HOTA HUMEIN GILA.

BADA PAKKA BANAYA,
HUMEIN ISHWAR NE,
AB TAK JILAYA,
HUMEIN ISHWAR NE.

BINA KISMAT LIYE,
JITE HAIN LOG YAHAN,
ASHCHARYA SE KAHEN YE,
UNKE LIYE HAI YE JAHAN.

KISMAT KI LAKIRON MEIN,
JO KHUD KO PATE HAIN,
REKHAON KE IS KHEL MEIN,
KHUD KO FIR KAHAN DHUNDH PAATE HAIN!




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