मेरी निगाहों के सवाल हो

मेरी निगाहों के सवाल हो,
इतने क्यों लाज़वाब हो!
मेरी नज़र का इंतज़ार हो,
जो न रुके वो बयार हो।
मेरी आंखों के वो राज़ हो,
जिस पर मुझे नाज़ हो।
मेरी निगाहों के सवाल हो,
जो न दिखे ऐसे काजल हो।
मेरी निगाहों के तुम ख्वाब हो,
जो भी हो बड़े लाज़वाब हो।

Meri nigahon ke sawal ho,
Itne kyun lazawab ho!
Meri Nazar ka intezar ho,
Jo na ruke wo bayar ho.
Meri ankhon ke wo raaz ho,
Jis par mujhe Naaz ho.
Meri nigahon ke sawal ho,
Jo na dikhe aise kajal ho.
Meri nigahon ke tum khwab ho,
Jo bhi ho bade lazawab ho.

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