Covid -19

कोविड १९
कोविड १९ का कहर,
बरपा है चारों ओर।
ऐसा कोई नहीं व्यक्ति,
जिसको मिली हो इससे मुक्ति।
गरीब को खाने के लाले,
अमीर को बाहर जाने के लाले।
रोज़गार,धंधा सब है बंद,
किसी को न कोई आनंद।
अपने अपनों से ही खाएं खौफ,
कोविड १९ घूम रहा है बेख़ौफ़।
सब जगह है तालाबंदी,
बाहर जाने, घूमने पर पाबंदी।
पहली दफा देखी ऐसी बवा,
इंसान इंसान से है खफा।
दवा इसकी अभी है नहीं,
दुआ काम करे ऐसा पता नहीं।
ये वायरस ख़ामोशी भरा वो तूफ़ान,
जिसके आने से पूरी दुनिया लगे जैसे श्मशान है।
अच्छे- अच्छे शूरवीर सब धरा शाही,
पैसे, पावर की ताकत कुछ न कर पाई।
इंसान को इसने बता दी औकात उसकी,
समझता था जो सारा जहां है मुठ्ठी में उसकी।
ये वक़्त देता है सोचने का,
आत्ममंथन, विश्लेषण खुद को जांचने का।
प्रकृति के साथ जो हुआ अन्याय,
मानवता को ना मिल सका न्याय।
आया है ये सूक्ष्मजीव बताने,
उल्टा सीधा जो लगे हो कमाने।
नहीं तो फ़िर दोबारा आऊंगा,
एक एक को बताऊंगा।
अभी तो घरों में हो बैठे,
फिर भी अहम में हो ऐंठे।
क्योंकि,
न तो मर्द हो,
न बड़े हो,
न अमीर हो,
न पावर वाले हो,
न टोपी वाले हो,
न पगड़ी वाले हो,
न सत्ताधारी हो,
 न वर्दीधारी हो,
 न भगवाधारी हो,
न खडगधारी हो,
कोविड १९ के लिए तो,
सिर्फ और सिर्फ तुम,
इंसान फेफड़ा धारी हो।

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